जो कर्मचारी पिछली 25 जुलाई से 29 जुलाई तक की अवधि में हड़ताल पर थे और जिन्होंने वर्तमान हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया है, उनके पूर्व हड़ताल अवधि को अवकास स्वीकृत करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
दूसरा- जो कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक भी हड़ताल पर थे और अब भी हड़ताल पर बैठे हैं, उनके अनुपस्थिति के संबंध में संदर्भित परिपत्र के निर्देशों के तहत कार्रवाई की जाए। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस निर्देश के साथ जिस परिपत्र का संदर्भ दिया है वह 10 अप्रैल 2006 को सामान्य प्रशासन विभाग की कर्मचारी कल्याण शाखा से जारी हुआ था। इसपर तत्कालीन मुख्य सचिव आरपी बगाई के हस्ताक्षर हैं।
2006 में जारी यह परिपत्र छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम-1965 के नियम 6 और 7 के मुताबिक प्रदर्शन-हड़ताल और स्वीकृत होने से पहले अवकाश पर जाना शासकीय सेवकों के लिए प्रतिबंधित है। यह “कदाचरण’ की श्रेणी में आता है।
इस तरह की कार्यवाही के निर्देश हैं
तत्कालीन मुख्य सचिव ने इसके लिए कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उसके मुताबिक ऐसे लोगों को यह बात बता दी जाए कि उनका कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है और उनपर इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। हड़ताल की दशा में अनुपस्थित दिनों का वेतन इत्यादि नहीं मिलेगा। इन अनुपस्थित दिनों को अवकाश भी मंजूर नहीं किया जाएगा। यही नहीं इस अवधि को “ब्रेक इन सर्विस’ माना जाएगा। जब कभी सरकारी सेवक ऐसे कृत्य करें तो घोर अनुशासनहीनता करने वालों के विरुद्ध गुण-दोष के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी सक्षम अधिकारी दे सकेंगे।
आज ही मुख्य सचिव ने की है कर्मचारी नेताओं से बात
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने सोमवार को ही छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के नेताओं को कार्यालय बुलाया था। वहां विधायक विकास उपाध्याय की मौजूदगी में मुख्य सचिव और हड़ताली नेताओं के बीच बातचीत हुई है। मुख्य सचिव ने आम लोगों की दिक्कतों का हवाला देकर काम पर वापस लौटने की बात कही। हड़ताली नेता अभी भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। बातचीत का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है।