किसानों को PM पर भरोसा नहीं:कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्वागत, लेकिन 26 नवंबर को रायपुर में ट्रैक्टर रैली की तैयारी
विवादित कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद भी किसान आंदोलन खत्म होता नहीं दिख रहा है। किसानों को प्रधानमंत्री की बात पर भरोसा नहीं है। वे संसद में इस कानून को खत्म किए जाने की प्रक्रिया के पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच 26 नवम्बर को ट्रैक्टर रैली की तैयारी है। ऐसी रैली राजधानी रायपुर में भी निकाली जानी है।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने पिछले सप्ताह रायपुर प्रशासन को एक पत्र सौंप कर ट्रैक्टर रैली की इजाजत मांगी थी। तीनों विवादित कानूनों को वापस लेने की घोषणा हो जाने के बाद भी किसान यह रैली करना चाहते हैं। महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य और अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा, उनका संगठन प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करता है, लेकिन यह बात अधूरी है। जब तक संसद में तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते आंदोलन फिलहाल खत्म नहीं हो रहा है। ऐसे में 26 नवम्बर की ट्रैक्टर रैली की तैयारी जारी है। जल्दी ही प्रशासन से उसके रास्ते को लेकर सहमति बना ली जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन 26 नवम्बर 2020 से शुरू हुआ था। इसके एक साल पूरा होने पर किसान संगठनों ने संसद तक ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की थी।
MSP गारंटी कानून की मांग बाकी
किसान नेताओं का कहना है, अभी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग मानी है। इससे किसान नुकसान से बच गए। खेती-किसानी को बचाने के लिए सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होना जरूरी है। सरकार को यह कानून बनाना होगा कि कहीं भी किसान की फसल समर्थन मूल्य से कम कीमत पर नहीं खरीदी जाएगी। आंदोलन में यह प्रमुख मांग रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक पर भी निगाह
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद किसान आंदोलन की दिशा दिल्ली की सीमाओं पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं पर निर्भर है। मोर्चा की निर्णायक बैठक शनिवार को होनी थी, लेकिन यह टाल दी गई है। इस बैठक में ही आगे की रणनीति तय होगी। फिलहाल तो तैयारियां जारी हैं।