कोरोना के कमजोर होते ही संविदा पर तैनात नर्सिंग कर्मी छटनी के शिकार, कर रहे आंदोलन
कोरोना के कमजोर पड़ते बड़ी संख्या में नर्सें छंटनी का शिकार हैं। कोरोनाकाल में प्रदेश के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में नर्सिंग कर्मचारियों की कमी लगातार बनी हुई थी। उस दौरान फ्रंट लाइन पर इनकी आवश्यकताओं को देखते हुए अधिक संख्या में इन्हें अच्छे पैकेज पर रखा गया। बीमारी से लड़ने में नर्सिंग स्टाफ की भूमिका भी सबसे अहम रही, लेकिन अब हटाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष सुधीर खुटिया व उपाध्यक्ष जीवनलाल साहू ने बताया कि कोरोनाकाल के बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़ी संख्या में नर्सिंग कर्मचारियों को नियुक्त की गई थी, लेकिन अब छंटनी कर दिया गया है। यह कर्मचारी जिलेवार आंदोलन कर रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में भी यही हुआ है। उनका कहना है कि चिकित्सा सेवाओं में नर्सिंग कर्मी मुख्य भूमिका निभाते हैं। ऐसे में व्यवस्था की इस तरह से दुर्गति से नर्सिंग कर्मियों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं।
अस्पतालों में नर्सिंग कर्मचारियों के पद खाली होने से व्यवस्था प्रभावित हो रही है। बता दें कि अस्पतालों में सामान्य बिस्तरों में प्रति छह बिस्तर एक प्रशिक्षित नर्सिंग कर्मी वहीं आइसीयू में प्रति बिस्तर एक नर्सिंग कर्मी होने का नियम है। लेकिन प्रदेश में औसत प्रति 10 बिस्तरों से अधिक पर एक नर्सिंग कर्मी है। वहीं आइसीयू में भी संख्या तीन से पांच तक है।