
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा -तें काकर बर मुख्यमंत्री बने हच छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढ़िया मन ल बर्बाद करे के किरिया खाय हस का
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल का ? का बिहार में छत्तीसगढ़िया दिवस मनाथे ?
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल फेसबुक में किया पोस्ट –
वाह !!! मुख्यमंत्री जी…… न तैं भुइयां भक्ति करस न भाषा भक्ति अऊ न ही नाबालिक नोनी मन ल बिहार लेग के वेश्यावृत्ति म धकेले के बात होवय चाहे ओकर परिवार संग होय धोखाधड़ी बर घलो कुछ नई करेस शराब के 67 अऊ नवां दुकान खोले के बात
ऊपर ले बिहार तिहार
तें काकर बर मुख्यमंत्री बने हच छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढ़िया मन ल बर्बाद करे के किरिया खाय हस का ??? ए सब छत्तीसगढ़ म नई होवन दन एकर पूरा हिसाब लोकतांत्रिक ढंग से छत्तीसगढ़िया मन ठीक से करबो
रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस महीने 22 मार्च को सरकारी स्तर पर ‘बिहार दिवस’ मनाया जाएगा। इस आयोजन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और बिहार सरकार के मंत्री तथा छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन भी शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रवासी बिहारी समाज के सफल व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा। भाजपा की ओर से इस तरह के आयोजन पूरे देश में किए जा रहे हैं। बिहार राज्य का गठन आजादी से दशकों पहले 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर हुआ था, और इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में बिहार दिवस मनाने की परंपरा है।
अमित बघेल के तीखी प्रतिक्रिया
हालांकि, छत्तीसगढ़ में ‘बिहार दिवस’ मनाने को लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने इस आयोजन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल का कहना है कि बिहार दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है और यह सिर्फ एक राजनीतिक कदम है। अमित बघेल का आरोप है कि जहां चुनाव होने वाले होते हैं, वहां भाजपा इस तरह के प्रचार अभियानों की शुरुआत कर देती है। उन्होंने कहा कि “अगर बिहार दिवस मनाना है, तो इसे बिहार में ही मनाया जाना चाहिए।”
इस पूरे विवाद के बीच यह भी महत्वपूर्ण है कि बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में भाजपा का छत्तीसगढ़ में ‘बिहार दिवस’ मनाना कहीं न कहीं बिहारी मूल के मतदाताओं को साधने की रणनीति भी मानी जा रही है। बिहार भाजपा पहले से ही राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयास कर रही है और ऐसे आयोजनों से उसे राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।
बिहार दिवस का आयोजन अब केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम न होकर राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया है। आने वाले दिनों में इस पर और अधिक राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।
