राजनांदगांव. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक राजनांदगांव में फर्जी नियुक्तियाें की शिकायत के बाद अब यहां जांच के लिए दो दिनों से टीम पहुंची हुई है. टीम यहां नियम विरुद्ध हुई नियुक्तियों और नियुक्तियों के लिए बड़े लेनदेन के आरोपों की जांच कर रही है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के समय राजनांदगांव जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में नियमों को दरकिनार करते हुए बड़ा लेनदेन कर फर्जी नियुक्तियां किए जाने का आरोप लगा था, लेकिन शिकायत के बावजूद इस मामले की जांच नहीं हो पा रही थी. ऐसे में पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने विधानसभा में इस मामले को लेकर ध्यान आकर्षण लाया, इसके बाद सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने इस पर जांच के आदेश दिए थे. अब इस फर्जी नियुक्तियाें की जांच के लिए यहां जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में टीम पहुंची हुई है.
संयुक्त रजिस्टर के नेतृत्व में एक टीम गठित किया गया है और यह टीम दो दिनों से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में पहुंचकर जिन लोगों की नियुक्ति हुई है उनसे और जो नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया अपनाई गई है उस पर अपनी जांच कर रही है. इस टीम की जांच में ही खुलासा होगा कि इन फर्जी नियुक्तियों के लिए कितने रुपए का लेनदेन हुआ और इसमें कौन-कौन दोषी है. फर्जी नियुक्ति देने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
इस मामले को लेकर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष सचिन सिंह बघेल ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जिला सहकारी बैंक में प्रशासक की नियुक्ति हुई थी और उनके लगभग दो ढाई साल के कार्यकाल में यहां लगातार नियुक्तियां की गई. इन नियुक्तियों की शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं हुई. सरकार बदलने के बाद पंडरिया विधायक द्वारा विधानसभा में ध्यान आकर्षण लाया गया, जिसमें विधायक भावना बोरा ने सरकार का पक्ष जानना चाहा था, जिस पर सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने इसकी जांच कराए जाने की बात कही थी. वहीं प्रारंभिक जांच में ही 51 लोगों की नियुक्तियों में नियमों का पालन नहीं करना पाया गया था. उन्होंने कहा की सेवा नियमों को दरकिनार कर यहां नियुक्तियां दी गई. इन नियुक्तियों के लिए रजिस्टार कोऑपरेटिव सोसाइटी से भी अनुमति नहीं ली गई.
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में हुई नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर लेनदेन का आरोप भी लगाया गया था, अब इस मामले की जांच की जा रही है.
संयुक्त रजिस्टर के नेतृत्व में एक टीम गठित किया गया है और यह टीम दो दिनों से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में पहुंचकर जिन लोगों की नियुक्ति हुई है उनसे और जो नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया अपनाई गई है उस पर अपनी जांच कर रही है. इस टीम की जांच में ही खुलासा होगा कि इन फर्जी नियुक्तियों के लिए कितने रुपए का लेनदेन हुआ और इसमें कौन-कौन दोषी है. फर्जी नियुक्ति देने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.