मांगुर मछली ऐसी प्रजाति कि होती है, जो किसी तालाब में अकेला राज़ करती है ।अगर इनके साथ किसी और मछली को तालाब में रख दिया जाय तो ये पल भर में चट कर जाएगी । दिलचस्प बात ये है कि ये मांस भी खाती है । ये तालाब में रहने वाले दूसरे जीव के लिये खतरा है
मांगुर मछली पालन पर भारत में प्रतिबंध है , फिर भी मांगुर का उत्पादन प्रतिबंधित मांगुर मछली को मोंगरी के नाम बेच रहे मछली विक्रेता मांगुर मछली बेचने पर 5-7 साल की सजा और अर्थदंड का भी प्रावधान रोजाना 3 करोड़ से अधिक माल का खपत, छुटभैया नेता और मांगुर माफिया हो रहे मालामाल जिंदा और तरोताजा मछली के नाम पर बाजार में पसोरा जा रहा है जहर मांगुर मछली धीमा जहर, जिसके खाने से होती है गंभीर बीमारियां बस्तर सहित राजधानी में लालपुर, जोरा, नया रायपुर, माना आदि में हो रहा उत्पादन
मांगुर मछली खाने के लोगों को कई तरह की बीमारियों का पता चलने के बाद से सरकार ने मांगुर मछली के उत्पादन और बचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
थाईलैंड की हाइब्रिड मछली 500 ग्राम से लेकर 510 किलो की भी हो सकती है , इसको खाने से दिल की बीमारी, डयबिटीज तथा कैंसर तक होने का खतरा हो सकता है इसे भारत मैं ही नहीं दुनियां भर में ही बेन किया गया है।
हाल ही में इसका खुलासा कोंडागांव में हुआ जहां एक मछली से भरे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसमें परतिबंधित मछली मांगुर मिले जिसे प्रशासन ने तत्काल नष्ट कराया।
भारत सरकार ने मांगुर के उत्पादन और पूरी तरह बैन लगा रखा है उसके बाद भी छुटभैया नेता और मांगुर माफिया तस्करी के रास्ते लोगों को मांगुर परोस कर गंबी्र बीमारियों से पीडि़त कर रहे है।