मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इसके लिए प्रस्तावित संशोधन विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई। कर्मचारियों के ट्रांसफर पर लगा प्रतिबंध हटाने के लिए एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है। वहीं बहु प्रतीक्षित मछुआ नीति और भूगर्भ जल नीति को भी मंजूरी मिल गई है।
बताया जा रहा है कि विधायकों की वेतनवृद्धि के लिए तीन संशोधन विधेयकों का प्रारूप बना है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए एक विधेयक है। मुख्यमंत्री, मंत्रियों और संसदीय सचिवों के लिए दूसरा विधेयक है और विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसमें 30 से 40 हजार रुपए की वृद्धि का प्रस्ताव है।
एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया, इस वृद्धि के बाद भी छत्तीसगढ़ के विधायकों का वेतन-भत्ता दिल्ली जैसे राज्यों में विधायकों के वेतन-भत्ते से कम ही हाेगा। कोशिश यह है कि वेतन-भत्ता, मध्य प्रदेश में विधायकों को मिल रहे वेतन-भत्ते और सुविधाओं के आसपास हो जाए। सरकार यह संशोधन विधेयक मानसून सत्र में लाएगी। यह सत्र 20 जुलाई से शुरू होना है। पिछली बार छत्तीसगढ़ के विधायकों का वेतन-भत्ता 2020 के मानसून सत्र में ही बढ़ाया गया था। यानी तीन साल में दूसरी बार माननीयों का वेतन बढ़ने जा रहा है।
बैठक में कर्मचारियों के स्थानांतरण पर दो सालों से लगा प्रतिबंध हटाने पर चर्चा हुई।
इसपर लगभग सहमति बनी है। लेकिन सरकार इसका फैसला करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार कर लेना चाहती है। ऐेसे में एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई जानी है। इसकी अध्यक्षता गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू करेंगे। इसमें मोहम्मद अकबर, डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, डॉ. शिव कुमार डहरिया और अनिला भेंडिया को भी शामिल किया गया है।