पैक्ड जूस और डेयरी उत्पादों के साथ मिलने वाले प्लास्टिक के स्ट्रॉ पर सरकार एक जुलाई से प्रतिबंध लगाने की तैयारी में
मोदी सरकार से, भारत की सबसे बड़ी डेयरी समूह आमूल ने पत्र लिखकर प्लास्टिक स्ट्रा के नियोजित प्रतिबंध में देरी करने का आग्रह किया है.
इस विषय पर आमूल ने कहा कि, इस कदम से दुनिया के सबसे बड़े कमोडिटी उत्पादक, किसानों और दूध की खपत पर “नकारात्मक प्रभाव” पड़ेगा.
अमूल ने 28 मई को पीएमओ को लिखे पत्र में यह अपील की है.
कि आगामी 1 जुलाई से जूस और डेयरी उत्पादों के जिन प्लास्टिक के स्ट्रॉ पर प्रतिबंध लगाने की सरकार तैयारी कर रही है, इसका उद्योग 790 मिलियन (79 करोड़) का है. अमूल हर साल अरबों छोटे डेयरी कार्टन बेचता है, जिसमें प्लास्टिक के स्ट्रॉ लगे होते हैं.रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के इस फैसले ने अमूल, पेप्सिको इंक और कोका-कोला सहित वैश्विक पेय प्रमुखों को हिलाकर रख दिया है. खासकर जब सरकार ने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया और कंपनियों को वैकल्पिक स्ट्रॉ पर स्विच करने के लिए कहा. बता दें कि अमूल, पेप्सिको, कोका-कोला के अधिकांश पेय पदार्थ प्लास्टिक स्ट्रॉ पर ही पैक करके ग्राहकों तक पहुंचाए जाते हैं.
आरएस सोढ़ी जो की आठ अरब डॉलर के अमूल डेयरी समूह के प्रबंध निदेशक है उन्होंने कहा कि, प्लास्टिक स्ट्रॉ दूध की खपत को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. सोढ़ी ने लिखा है कि प्रतिबंध में देरी से 10 करोड़ डेयरी किसानों को राहत और लाभ मिलेगा”, जो “दूध और दूध उत्पादों के मामले में हमारी खाद्य सुरक्षा की रक्षा करते हैं”. सोढ़ी ने अपने पत्र में कहा कि एक जुलाई से प्रतिबंध लागू होने के बाद अमूल को बिना स्ट्रॉ के पैक बेचने पड़ सकते हैं.उन्होंने कहा कि देश में कम कीमत 5 रुपये से 30 रुपये कीमत वाले जूस और दूध उत्पाद व पेय पदार्थ काफी लोकप्रिय हैं. ये पेय पदार्थों के लिए एक बड़े बाजार का हिस्सा भी है. अगर प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन लगा तो ये पेय पदार्थ पेपर स्ट्रा यूज करने की वजह से और भी महंगे हो सकते हैं.