प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत भारतीय वायु सेना बड़ा कदम उठाने जा रही है. वायुसेना ने 144 में 96 लड़ाकू विमानों को भारत में बनाने का फैसला किया है. इसके अलावा शेष 18 विमान ही विदेशों से आयात किए जाएंगे. वायु सेना को पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन पर श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए इन्हीं 114 लड़ाकू विमानों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है. इन विमानों की संख्या कम है इसलिए वायुसेना अपनी मांग के अनुरूप विमानों का निर्माण करेगी.
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि हाल ही में भारतीय वायु सेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ बैठक की और उनसे मेक इन इंडिया परियोजना को अंजाम देने के तरीके के बारे में पूछा। सूत्रों ने बताया कि योजना के मुताबिक शुरुआती 18 विमानों के आयात के बाद अगले 36 विमानों का निर्माण देश के भीतर किया जाएगा और भुगतान आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा और भारतीय मुद्रा में किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि अंतिम 60 विमान भारतीय साझेदार की मुख्य जिम्मेदारी होगी और सरकार केवल भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगी. भारतीय मुद्रा में भुगतान से विक्रेताओं को परियोजना में 60 प्रतिशत से अधिक ‘मेक-इन-इंडिया’ सामग्री हासिल करने में मदद मिलेगी. बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग, इरकुत कॉर्पोरेशन और डसॉल्ट एविएशन सहित वैश्विक विमान निर्माताओं के निविदा में भाग लेने की उम्मीद है.