देश में बिजली का उपयोग अधिक होने से इसका संकट भी अब बढ़ने लगा है । इसका असर पर्यावरण पर भी दिखने लगा है । लोगों को सौर ऊर्जा का पाठ पढ़ाने आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर डॉ . चेतन सोलंकी देशभर में सौर ऊर्जा से चलने वाली विशेष बस से भ्रमण कर रहे हैं । इस क्रम में मंगलवार को वे रविवि के ऊर्जा प्रौद्योगिकी और प्रबंधन विभाग अलग पहुंचे और छात्रों को सौर ऊर्जा का महत्व और उपयोग की बारीकी से अवगत कराया । सौर ऊर्जा के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके डॉ . सोलंकी को देशभर में सोलर मैन के रूप में पहचाना जाता है ।
11 साल के लिए अपना घर-बार सब छोड़ दिया है और वह इस आंदोलन को लोगों के अस्तित्व की लड़ाई बताते हैं. वह कहते हैं, “ये पॉलिसी नहीं, प्रोजेक्ट नहीं, स्कीम नहीं, बल्कि जन आंदोलन है. सब उसमें भागीदारी करें. इसलिए करें कि अपने बच्चों के लिए जीने लायक धरती छोड़कर जाएं. अस्तित्व का केंद्र सौर ऊर्जा है और इस केंद्र पर हमें फिर से स्थापित होना होगा.”अपनी बनाई हुई बस से देशभर में भ्रमण कर रहे हैं । मेरा उद्देश्य सौर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण को संतुलित बनाए रखना है ।
उनका कहना है , 1950 के बाद वैश्विक ऊर्जा उपयोग में तेजी से वृद्धि हुई है । लगभग 80-85 % ऊर्जा का योगदान जीवाश्म ईंधन द्वारा किया जाता है । पूर्व – औद्योगिक युग की तुलना में ग्रह 1.1 डिग्री सेल्सियस गर्म है । हमें वार्मिंग को सीमित करने के लिए सोलर का उपयोग करना चाहिए । लोगों को पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों पर निर्भर रहने के बजाय सौर ऊर्जा करने की अपील कर रहे है । जितना संभव हो ऊर्जा के उपयोग से बचें , भले ही वह सौर ऊर्जा ही क्यों न हो । यदि आप ऊर्जा के उपयोग से बच नहीं सकते हैं , तो कुशल उपकरणों के उपयोग के माध्यम से इसका उपयोग कम से कम करें ।