डीजल कि कमी ने बढ़ायी किसनो की बड़ी परेशानी क्यों कि उन्हें खेती के लिए बड़े पैमाने पर चाहिए डीजल
छत्तीसगढ़ में मानसून से ठीक पहले डीजल का संकट ऐसा गहराया है कि एक-दो दिन में हालात इमरजेंसी जैसे होने वाले हैं। धमतरी और गरियाबंद जिलों की पड़ताल में पाया कि यहां हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) के 40% पंपों में डीजल नहीं है। भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) और इंडियन ऑइल (आईओसीएल) के पंपों में भी डीजल कम है।
एस्सार और रिलायंस पेट्रोल पंप तो करीब-करीब बंद होने की कगार पर हैं। पंपों में ‘डीजल नहीं है’ की सूचना से किसान परेशान हो गए हैं क्योंकि मानसून करीब है और उन्हें खेती-किसानी के लिए ट्रैक्टर में बड़े पैमाने पर डीजल चाहिए। इस वजह से बोआई से पहले खेत तैयार करने का काम भी संकट में आ गया है।
इस दौरान स्थानीय किसानों से भी बात की। मंदिरहसौद स्थित एचपीसीएल के डिपो में अफसरों ने बताया कि विशाखापट्टनम रिफाइनरी से ही सप्लाई नहीं है।
रिफाइनरी में संपर्क करने की कोशिश की, मगर कोई अधिकारी वजह बताने को तैयार नहीं हुआ। उधर, छत्तीसगढ़ पेट्रोलियम एसोसिएशन ने दावा किया कि बुधवार को प्रदेश के अधिकांश पंपों में केवल एक ही दिन का स्टाॅक बाकी है।
इसने किसानों को इसलिए आशंकित कर दिया है क्योंकि धान की खेती मानसून के आगमन के साथ जोर पकड़ लेती है। पहली बारिश के बाद यहां खेतों की जोताई होती है, दोबारा जोताई के बाद बोआई की जाती है। खेत बनाने के ये सारे काम बिना ट्रैक्टर के नहीं हो रहे हैं। डीजल नहीं मिलने से ट्रैक्टर खड़े हो जाएंगे।
रायपुर के पेट्रोल पंप संचालकों का दावा है कि वे 3-3 टैंकर के लिए एडवांस पेमेंट कर चुके हैं, पर कंपनियां सप्लाई नहीं कर रही हैं। मंदिरहसौद एचपीसीएल डिपो के बाहर टैंकरों की लंबी कतार है। टैंकर ड्राइवरों ने बताया कि डीजल मिलने में बहुत देर लग रही है