छत्तीसगढ़ का सरकारी दूध उत्पाद ब्रांड देवभोग संकट के दौर में है। स्थिति यह है कि 2018-19 में रोजाना 1.03 लाख लीटर दूध यहां के किसानों से कलेक्ट करने वाला देवभोग आज रोजाना महज 50-51 हजार लीटर दूध ही कलेक्ट कर पा रहा है। इसका नतीजा है कि देवभोग का मीठा दूध, 5 लीटर का घी का पैक समेत कई उत्पाद करीब दो माह से गायब हैं। इस कमी का आम लोगों पर सीधा असर यह हुआ है कि पिछले तीन माह में देवभोग दूध का रेट 3 बार बढ़ाना पड़ा है।
देवभोग के आधा लीटर नार्मल दूध का पैकेट 24 रुपए से बढ़कर 26 रुपए हो गया है।
इसी तरह, स्टैंडर्ड दूध का आधा लीटर का पैक 25 से बढ़कर 29 रुपए कर दिया गया है।
जानकारों के मुताबिक मार्केट में दूध बेचनेवाली बड़ी कंपनियों ने दाम बढ़ाए, इसलिए देवभोग को बढ़ाना पड़ा। लेकिन दूध कलेक्शन तेजी से गिरने को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है।
देवभोग महासंघ किसानों को दूध खरीदने के बाद 40 से 45 दिनों में पेमेंट कर रहा है। प्रति लीटर दूध उत्पादन पर किसानों को केंद्र सरकार से 3.75 रुपए सब्सिडी मिलती थी, जो बंद हो चुकी है। इन सबका फायदा बड़ी कंपनियों को इस तरह हुआ कि वे सीधे गांव पहुंचकर किसानों से दूध खरीद रही हैं और 4-5 दिन में भुगतान भी हो रहा है। इस वजह से किसान देवभोग के बजाय इन कंपनियों को ही दूध बेचने लगे हैं।
कलेक्शन कम हो रहा है, तो प्रोडक्शन भी कम है और बाजार से देवभोग के कई उत्पाद महीने-दो महीने से गायब हैं। 200 एमएल के पैक में आने वाले मीठा दूध दो माह से बाजार में नहीं है क्योंकि देवभोग पैकेजिंग बोतल ही नहीं खरीद पा रहा है। इसी तरह, 5 लीटर का घी नहीं आ रहा है।