Chhattisgarh News: पूर्ववर्ती भूपेश सरकार द्वारा जारी किए गए मास्टर प्लान में भी अब गड़बड़ियां उजागर होने लगी हैं। मंत्री ओपी चौधरी ने दिए जांच के आदेश
पिछली कांग्रेस सरकार में पास किए गए 2031 के मास्टर प्लान को लेकर कई खामियां सामने आने लगी हैं। कई सामाजिक और व्यापारिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि राजधानी के बड़े बिल्डरों के इशारे पर मास्टर प्लान तैयार किया गया है। लगातार शिकायतों के बाद आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने पूरे प्लान की जांच करने के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए टाउन एंड प्लानिंग विभाग के अफसरों की एक टीम बनाई जा रही है, जो जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसके बाद मास्टर प्लान बदलेगा।
पूर्ववर्ती भूपेश सरकार द्वारा जारी किए गए मास्टर प्लान में भी अब गड़बड़ियां उजागर होने लगी हैं। अब इसकी जांच होगी। हालात ऐसे हैं कि इस मास्टर प्लान में कई जगहों में आवासीय क्षेत्र को कृषि भूमि बताने के साथ ही मनोरंजन की भूमि भी बता दिया गया था। वहीं, कई क्षेत्रों में कालोनियों के बीच से भी सड़क का प्रविधान कर दिया गया है। प्लान में जिन जगहों पर तालाब दिखाया गया है, वहां वर्तमान में कालोनियां या फिर घर बनाए जा चुके हैं।
इतना ही नहीं, कई क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या के दृष्टिकोण से मार्गों की चौड़ाई बढ़ाने के बजाय घटा भी दी गई है। इसे देखते हुए आरोप लगाया गया है कि अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए पूर्व मंत्री डा. शिव डहरिया ने इस तरह का काम किया है। नगर एवं ग्राम निवेश के विभागीय मंत्री ओपी चौधरी से इसकी शिकायत की गई, जिस पर मंत्री ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं और कमेटी गठित करने की भी बात कही है। ऐसे में जांच के बाद मास्टर प्लान में संशोधन भी किया जा सकता है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से जारी किए गए मास्टर प्लान में मुख्य रूप से मार्गों की चौड़ाई को कम किया जाना, भू-उपयोग आवासीय / वाणिज्यिक / सार्वजनिक-अर्द्धसार्वजनिक का कई ग्रामों में सुनियोजित ढंग से प्रविधान नहीं किया गया है। इसमें व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए मिश्रित भू-उपयोग चिह्नांकित किया था, लेकिन लोगों को पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया। इसकी वजह से कई मामलों का निराकरण नहीं किया जा सका।
अब बदलेगा मास्टर प्लान
आवास व पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने कहा, पूर्व में लागू किए गए मास्टर प्लान को लेकर बहुत सारी शिकायतें आई हैं, इसलिए नए सिरे से इसकी जांच की जाएगी।
– मास्टर प्लान 2031 में राजीनामा का कोई प्रविधान नहीं है। नगर निगम रायपुर के प्रस्ताव के अनुसार अतिरिक्त 33% निर्मित क्षेत्र को जुर्माना अदा कर कभी भी नियमित किया जा सकता है।
– अंतरराज्यीय बस्टर मिनस के लिए एमआररोड केवल 24 मीटर तक कर दिया गया है, लेकिन मास्टर प्लान 2031 में चारों ओर भूमि उपयोग को कृषि से वाणिज्यिक में बदल दिया गया है।
– पुलिस ग्राउंड परिसर को पीएसपी के स्थान पर हरा/मनोरंजन दर्शाया गया है। मोतीबाग/प्रेस क्लब/नगर निगम बिल्डिंग को ओडी पीएसपी की जगह ग्रीन दिखाया गया है।
– डब्ल्यूआरएस कालोनी भनपुरी/ कापा/ दलदल सिवनी में 1,000 हेक्टेयर भूमि का उपयोग परिवहन के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन यह रेलवे की रिक्त भूमि है।
– स्वीकृत आवासीय लेआउट/आवासीय प्लाटिंग के लिए लागू ले-आउट अनुमोदन खुद किया है और उन्हीं भूमि को ले-आउट में कृषि भूमि के रूप में दिखाया गया।
– दतरेंगा और डोमा में पहले से स्वीकृत कालोनियों के बीच से कुछ नई एमआर रोड भी प्रस्तावित की गई है।
– 24 मीटर चौड़ी नई कनेक्टिंग एमआर रोड केवल कृषि प्रयोजन के लिए प्रस्तावित की गई है।
– ग्राम दतरेंगा और डोमा गांव में कोई आवासीय भूमि उपयोग दर्ज नहीं किया गया है, बल्कि ज्यादातर कृषि भूमि और मनोरंजन भूमि में दर्ज कर दिया गया है।
– भवन की मल्टीलेवल विडिंग को लेकर ऊंचाई स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
– मिनीप्लेक्स के लिए भूमि 1000 वर्ग मीटर व 12 मीटर/18 मीटर चौड़ी सड़क होनी चाहिए, जिसे कम कर दिया है।
– एक हेक्टेयर से अधिक खुली भूमि विकास के लिए नगर निगम को सौंपी जानी है, पर एक हेक्टेयर का 10% है। निगम को खुला क्षेत्र सौंपना 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र वाली कालोनियों के लिए होना चाहिए।
– आम तौर पर भूमि विकास दर में 10% की वृद्धि होती है, पर 25% से 33% तक यह विकास शुल्क के रूप में तय कर दिया गया है।