धमतरी के हजारों किसान इस समय आगबबूला हैं। इसकी वजह है,रबी फसल के लिय पानी न देना का फैसला है। पानी न देने का फैसला सोमवार को कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में जल उपयोगिता समिति की बैठक में लिया गया है।
दोपहर में आयोजित बैठक में सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव, धमतरी विधायक रंजना साहू की उपस्थिति में कलेक्टर पीएस एल्मा ने प्रदेश के सबसे बडे़ गंगरेल बांध समेत मुरूमसिल्ली, सोंढूर और दुधावा बांधों में उपलब्ध पानी की स्थिति की समीक्षा की। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से भी राय-मशविरा किया गया।
गौरतलब है कि महानदी जलाशय परियोजना के तहत गंगरेल, मुरुमसिल्ली और दुधावा जलाशय में कुल 40.69 टीएमसी 94.99 फीसदी है। सिंचाई विभाग के ईई एके पालड़िया ने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए 1.73 टीएमसी, निस्तारी के लिए 6.05 टीएमसी, रायपुर नगरनिगम पेयजल के लिए 3.03 टीएमसी, धमतरी नगरनिगम 0.76 टीएमसी प्रस्तावित है। मुरूमसिल्ली, दुधावा, सोंढूर में न्यूनतम जल की मात्रा 1.40 टीएमसी, वाष्पन एवं क्षरण के लिए 6.39 टीएमसी, खारून नदी में निस्तारी एवं नपं पाटन के लिए पेयजल 0.09 टीएमसी, बीरगांव नगरनिगम पेयजल के लिए मांग अनुसार 0.15 टीएमसी और चरौदा, भिलाई पेयजल के लिए 0.28 टीएमसी जल की मात्रा प्रस्तावित है।
किसानों को बांध से पानी नहीं मिलेगा– रबी सीजन में इस साल सिंचाई के लिए किसानों को बांध से पानी नहीं मिलेगा। जलउपयोगिता समिति की बैठक में अधिकारियों ने केंद्रीय जल आयोग/बांध सुरक्षा विशेषज्ञ नई दिल्ली के निर्देशों का हवाला देते हुए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया। उधर पानी नहीं देने के निर्णय का किसानों ने विरोध किया। उनका कहना है कि बांध में पर्याप्त पानी है। इसके बाद भी यदि सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला, तो मजबूरन उन्हें सड़क में उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
किसानो का कहना – राज्य सरकार को किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। सिंचाई पानी के लिए गांव-गांव में किसानों को लामबद्ध कर आंदोलन करेंगे।इस साल अच्छी बारिश होने के कारण अंचल के चारों बांधों में पर्याप्त पानी संग्रहित हैं। बांधों में पानी है तो इसे व्यर्थ ही बहाने से अच्छा है कि किसानों को रबी फसल के लिए पानी दें।