ट्रेनों में सीटों की बुकिंग शुरू होने के साथ ही तत्काल कोटे के लिए मारामारी शुरू हो गई है। मुंबई, हावड़ा और दिल्ली की ट्रेनों की तत्काल कोटे की सीटें दो-तीन मिनट के भीतर ही बुक हो जा रही है। रायपुर से हावड़ा-मुंबई रुट 13 से ज्यादा ट्रेनों की साढ़े तीन हजार सीटें तो डेढ़ से दो मिनट के भीतर ही बुक हो रही हैं। रेलवे के तमाम प्रयासों के बावजूद ज्यादातर सीटें दलालों के कोटे में जा रही हैं। आम यात्रियों को बमुश्किल 20 फीसदी सीटें ही मिल पा रही हैं। आम लोगों को तो भराेसा ही नहीं रहता कि उन्हें तत्काल कोटे की सीटें मिल पाएंगी या नहीं हैं, जबकि दलालों के माध्यम से सीटें करवाने पर सीट मिलने की पूरी गारंटी रहती है।
सुबह 10 बजे काउंटर खुलता है और 24 घंटे बाद की ट्रेनों के लिए तत्काल कोटे की सीटें भी इसी समय बुक होती हैं। रेलवे काउंटर से कोटे की टिकटें उन्हीं को मिल पाती हैं जो टिकट खिड़की पर पहले दूसरे या तीसरे नंबर पर रहते हैं। ऐसे में यात्री काउंटर खुलने के चार-पांच घंटे पहले सुबह 6-6 बजे स्टेशन पहुंचकर रिजर्वेशन सेंटर के बाहर खड़े रहते हैं। मेन गेट के बाहर ही यात्रियों की लाइन लग जाती है। बाहर जो खड़े होते हैं वही भीतर जाकर उसी क्रम में काउंटर खिड़की पर खड़े हाेते हैं। यहां भी दलालों ने अपनी पैठ बना ली है। दलालों पैसे देकर लोगों को आधी आधी रात से लाइन में खड़ा कर देते हैं।
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के लिए अभी से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस, शालीमार-एलटीटी एक्सप्रेस, मुंबई मेल, आजाद हिंद, दरभंगा एक्सप्रेस और सारनाथ एक्सप्रेस में सीटें बुक हो गई हैं। ऐसे में दीपावली के अवसर पर घर या फिर बाहर जाने वालों के लिए एक मात्र सहारा तत्काल टिकट ही रहेगा। एजेंट इसी मौके का फायदा उठाकर ज्यादा पैसे लेकर टिकट उपलब्ध करवाते हैं।
रेलकर्मी के साथ फूटी सांठगांठ : इसी महीने हथबंध और मरोदा रेलवे स्टेशन पर एजेंट के साथ रेलवे के कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है। एजेंट के लोग रेलवे कर्मी से मिली भगत कर तत्काल कोटे की टिकटें बेच रहे थे।
रायपुर रेलवे मंडल के कमांडेंट संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि तीन तरह से टिकट बुक करने वालों पर नजर रखी जाती है। आरपीएफ को रेलवे की तरफ सॉफ्टवेयर प्रोवाइड कराया गया है। सॉफ्टवेयर से पता चल जाता है कि किस ईमेल आईडी से कितनी बार टिकट की बुकिंग की जा रही है। क्योंकि एक आदमी एक माह में सिर्फ चार टिकट ही निकाल सकता है। एक ही आइडी से पांचवां टिकट निकालते ही सॉफ्टवेयर से पता चल जाता है।