रायपुर छत्तीसगढ़ में पहली बार कांगेर घाटी में 25 से 27 नवंबर तक पक्षी सर्वेक्षण का कार्य शुरू होने जा रहा है। इनमें 11 राज्यों छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान के 56 पक्षी विशेषज्ञ शामिल होंगे। इससे पहले राज्य सरकार ने बेमेतरा जिले के गिधवा में प्रथम पक्षी महोत्सव का आयोजन किया था। गिधवा में देश-दुनिया के 150 प्रकार के पक्षियों का अनोखा संसार है। सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां यूरोप, मंगोलिया, म्यामार और बांग्लादेश से पक्षी पहुंचते हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि यह सर्वेक्षण बर्ड काउंट इंडिया और बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ आफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया जाएगा। तीन दिनों तक पक्षी विशेषज्ञ कांगेर घाटी के अलग-अलग पक्षी रहवासों का निरीक्षण कर यहां के पक्षियों का सर्वेक्षण करेंगे। इससे राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन में सहायता होगी। साथ ही ईको-टूरिज्म में बर्ड वाचिंग के बारे में विस्तार से जानकारी सामने आएगी। गणवीर ने बताया कि कांगेर घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता, रोमांचक गुफाओं के लिए देश-विदेश में विख्यात है। यहां भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को भी देखा गया है। खास बात यह है कि कांगेर घाटी में राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का भी रहवास है। पहाड़ी मैना आदमी की आवाज की नकल कर लेती है।
कांगेर में इन पक्षियों की है उपस्थिति
कांगेर घाटी में भृगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो जैसे पक्षी सामान्य रूप से पाए जाते हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का विशेष क्षेत्र है। इसमें साल, सागौन, टीक और बांस के पेड़ बहुतायत में हैं। इसी क्षेत्र में प्रसिद्ध कुटुमसर गुफा भी है।