रायपुर में कांग्रेस नेता के भतीजे की हत्या कर दी गई। 25 सितंबर से लापता युवक की शुक्रवार देर शाम लाश मिली। ये युवक बीरगांव निगम में MIC मेंबर और पार्षद इकराम अहमद का भतीजा था। युवक का नाम वाहजुद्दीन उर्फ बाबू (21) था। बीरगांव के गाजीनगर में हुए इस हत्याकांड से अब इलाके में तनाव का माहौल है। इस केस में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने थाने का घेराव कर दिया। देर रात विधायक सत्यनारायण शर्मा भी थाने पहुंचे थे। आरोपियों की गिरफ्तारी में लेट लतीफी को लेकर भी खूब बवाल हुआ।
जब विवाद बढ़ने लगा पुलिस को मामले में कार्रवाई करनी पड़ी। इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले करीम खान और उसके दो साथी फिरोज और विश्वनाथ को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। करीम बीरगांव के दुर्गा नगर इलाके में गांजे का अवैध व्यापार चलाया करता था। फिरोज, करीम का साला है। बाबू के घर वालों ने अपनी लिखित शिकायत में शुरू से ही करीम, फिरोज पर संदेह जाहिर करते हुए कार्रवाई की मांग की थी मगर उन्हें पकड़ा तब गया जब बहुत देर हो चुकी थी।
बाबू के परिजनों ने 2 अक्टूबर को इस मामले में FIR दर्ज करवाई थी। तब से अब तक उरला थाने की पुलिस ने इस केस में कोई खास कार्रवाई नहीं की। बाबू के चाचा पार्षद इकराम ने खुद SSP से मुलाकात कर इस केस को क्राइम यूनिट काे सौंपने की मांग की थी। जब गुरुवार को ये केस क्राइम यूनिट के पास पहुंचा 24 घंटे के भीतर मामले में बड़ा अपडेट सामने आया।
पुलिस ने फिरोज और विश्वनाथ को पकड़ा। इन दोनों ने करीम के कहने पर बाबू की हत्या करने की बात कबूली। दोनों ने बताया कि WRS कॉलोनी के पास एक जंगली हिस्से में पटरियों के पास जमीन में बाबू की लाश भी दफ्न है। शुक्रवार को इन्हें लेकर पुलिस मौके पर पहुंची। 33 दिन से लापता बाबू की लाश मौके से बरामद की गई।
लड़की के चक्कर में हत्या
पुलिस के मुताबिक बाबू का करीम की बेटी से नाजायज संबंध था। करीम ने कई बार बाबू को बेटी से दूर रहने को कहा था। बाबू नहीं माना इसलिए फिरोज और विश्वनाथ की मदद लेकर उसकी हत्या की गई। आरोपियों ने बताया कि वो बाबू को अपने साथ पटरियों के पास लेकर गए थे। वहां शराब पिलाई और फिर चाकू से कई वार करके वहीं उसकी जान लेली और सुनसान जगह में दफनाकर निकल गए।
लापरवाह पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग
परिजनों ने बताया कि 2 अक्टूबर से लगातार हम उरला थाने के अफसरों से संपर्क में थे। थाने में केस का लोड होता है हम कार्रवाई की मांग कर रहे थे। विधायक के साथ मिला। किया ट्रांसफर 24 घंटे के भीतर पता चल गया उरला थाने की पुलिस नहीं कर पाई। 32 दिनों तक पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाई, उच्चाधिकारियों को इसकी जांच करनी चाहिए। हमने तो आरोपियों के नाम पहले ही दे रखे थे।