छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शनिवार को प्रदेशभर से हजारों सहायक शिक्षक पहुंचे। यह सभी नवा रायपुर के माना इलाके में आंदोलन करने पहुंचे थे। तूता में बनाए गए आंदोलन स्थल की व्यवस्था और विरोध प्रदर्शन से शिक्षकों को रोके जाने की वजह से काफी बवाल हुआ।
छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के बैनर तले यह शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं। पिछले लंबे वक्त से इनके वेतन से जुड़ी विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है। पद के अनुरूप वेतन न मिल पाने की वजह से शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं।
शुक्रवार रात से ही अलग-अलग जिलों से शिक्षक बसों में सवार होकर रायपुर पहुंच रहे थे। बीच रास्ते में ही पुलिस ने बहुत से प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। इस वजह से शिक्षकों में भारी गुस्सा था। जैसे-तैसे जब नवा रायपुर के आंदोलन स्थल पहुंचे तो यहां मौजूद अव्यवस्थाओं ने हालात और बिगाड़ दिए।
पानी तक नसीब न हुआ
शिक्षक फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष बसंत कौशिक ने मीडिया को जानकारी दी कि तूता में आंदोलन करने की अनुमति मिली थी। जबकि हमने रायपुर शहर में प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। मगर जानबूझकर हमारे आंदोलन को प्रभावित करने के लिए अफसरों ने अनुमति नहीं दी।
अब जिस जगह पर हम आंदोलन करने बैठे हैं यहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, ना ही महिलाओं के लिए शौचालय, कड़ी धूप में हमें परेशान होना पड़ रहा है। यह सब इस वजह से किया गया, ताकि हमारा आंदोलन दबाया जा सके। मगर हम पीछे हटने वाले नहीं हैं हमारे बहुत से साथियों को गिरफ्तार भी किया गया। उन्हें रायपुर आने नहीं दिया गया और इस तरीके से हमें प्रताड़ित करने की कोशिश की गई।
विरोध प्रदर्शन और आम सभा के बाद सहायक शिक्षकों का एक बड़ा रेला मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने पैदल निकल पड़ा। इसे वेतन विसंगति न्याय पदयात्रा का नाम दिया गया था।
रायपुर के सिविल लाइन स्थित मुख्यमंत्री निवास से तूता का विरोध प्रदर्शन स्थल लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। शिक्षक इस दूरी को भी पैदल तय करने को राजी थे, मगर बीच रास्ते में ही बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस ने शिक्षकों को रोक लिया। इस वजह से शिक्षकों और पुलिस के बीच बहस बाजी होती रही प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर कर पुलिस अफसरों को खेलने लगे और विवाद के हालात बने । पुलिस ने शिक्षकों को आगे जाने नहीं दिया और शिक्षक भी काफी देर तक आगे जाने की बात पर अड़े रहे।