प्रशासन के द्वारा शिक्षा व्यवस्था को बेहतर से बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं(Smart Class) तो बनाई जाती है, लेकिन इनके हाल तो कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था शुरू की गई थी। ताकि ये बच्चे स्मार्ट क्लास के माध्यम से नई तकनीक को जान व विषय वस्तु को बेहतर ढंग से समझ सकें।
प्राइवेट स्कूलों की तरह ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को स्मार्ट क्लास(Smart Class) के माध्यम से नई तकनीक को जानने व विषय वस्तु को बेहतर ढंग से समझने के लिए जिले के 60 स्कूलो में स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई। लेकिन यह व्यवस्था कुछ ही दिन चल पाई और जिले के कुछ स्कूलों को छोड़कर कुछ संस्थाओ के डिजिटल बोर्ड ही अगस्त माह में ही ठप्प हुए।
बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक के दौरान जिला कार्यालय के सभाकक्ष में स्कूलों से मंगाकर यहां स्टाल कर दिए गए जो आज भी जिला कार्यालय के सभागार की शोभा बढ़ा रहे हैं। लेकिन उन स्कूली बच्चों का क्या जिनके लिए ये योजना(Smart Class) बनाई गई और मोटी रकम खर्च कर जो स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई थी वो तो इससे वंचित हो रहे हैं।
आपको बता दें कि, स्मार्ट क्लास की स्थापना के साथ ही एक निजी संस्थान के द्वारा जिले के इन चयनित स्कूलों के प्रत्येक स्कूल से 2 शिक्षकों को स्मार्ट क्लास के नियम-कायदों व पढ़ाई के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन जब क्लास की डिजिटल बोर्ड ही क्लासरूम से गायब हो तो समझा जा सकता है कि, किस तरह से स्कूलों में पठन-पाठन कराया जा रहा होगा।
इस संबंध में डीईओ अशोक पटेल ने कहा, बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक के दौरान कुछ स्कूलों के एलसीडी मंगवाए गए थे जो कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में लगे हुए हैं।